Dengue से रहेंगे सेफ – अपनाए ये 6 आसान घरेलू नुस्खे
डेंगू बुखार को रोकने और उसका इलाज करने में मदद करने के लिए शीर्ष 6 आसान और प्रभावी उपचार देखें। जानें कारण और यह कैसे फैलता है।
Dengue से रहेंगे सेफ – अपनाए ये 6 आसान घरेलू नुस्खे
शुरुआत में सामान्य-सा लगनेवाला यह बुखार देरी या गलत इलाज से जानलेवा साबित हो सकता है। वक्त पर सही इलाज हो तो हालात कंट्रोल में रहते हैं। एक्सपर्ट्स ने बताया डेंगू से बचाव और इलाज के बारे में,
कैसे और कब होता है डेंगू:
डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता।
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कैसे फैलता है:
डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।
कब दिखती है बीमारी:
काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है।
कितने तरह का होता है डेंगू……….?
यह तीन तरह का होता है
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है और उसका फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता तो जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है, DHF है या DSS है।
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लक्षण क्या-क्या…?
साधारण डेंगू बुखार:
- ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना
- सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
- आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है
- बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना
- गले में हल्का-सा दर्द होना
शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना
क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार करीब 5 से 7 दिन तक रहता है और मरीज ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में इसी किस्म का डेंगू बुखार होता है।
डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF):
- नाक और मसूढ़ों से खून आना
- शौच या उलटी में खून आना
स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चिकत्ते पड़ जाना
अगर क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ ये लक्षण भी दिखाई दें तो वह ष्ठ।।स्न हो सकता है। ब्लड टेस्ट से इसका पता लग सकता है।
डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS):
- इस बुखार में DHF के लक्षणों के साथ-साथ ‘शॉक’ की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे :
- मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी स्किन ठंडी महसूस होती है।
- मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है।
मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है। उसका ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाता है।
नोट : डेंगू से कई बार मल्टी ऑर्गन फेल्योर भी हो जाता है। इसमें सेल्स के अंदर मौजूद फ्लूइड बाहर निकल जाता है। पेट के अंदर पानी जमा हो जाता है। लंग्स और लिवर पर बुरा असर पड़ता है और ये काम करना बंद कर देते हैं।
कौन-से टेस्ट:
अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर लक्षण नहीं हैं, पर तेज बुखार बना रहता है तो भी एक-दो दिन के इंतजार के बाद फिजिशियन के पास जरूर जाएं। शक होने पर डॉक्टर डेंगू की जांच कराएगा। डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (एनएस 1) किया जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है।
अगर तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (डेंगू सिरॉलजी) कराना बेहतर है। डेंगू की जांच कराते हुए वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट करा लेना चाहिए। इस टेस्ट में प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है। डेंगू के टेस्ट ज्यादातर सभी अस्पतालों और लैब्स में हो जाते हैं। टेस्ट की रिपोर्ट 24 घंटे में आ जाती है। अच्छी लैब्स तो दो-तीन घंटे में भी रिपोर्ट दे देती हैं। ये टेस्ट खाली या भरे पेट, कैसे भी कराए जा सकते हैं।
प्लेटलेट्स की भूमिका:
आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं। प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए।
अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें। प्लेटलेट्स निकालने में तीन-चार घंटे लगते हैं।
बच्चों में खतरा ज्यादा:
बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है। पैरंट्स ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं। जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो। स्कूल प्रशासन इस बात का ध्यान रखे कि स्कूलों में मच्छर न पनप पाएं।
बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।
किस डॉक्टर को दिखाएं:
डेंगू होने पर किसी अच्छे फिजिशियन के पास जाना चाहिए। बच्चों में डेंगू के लक्षण नजर आएं तो उसे पीडिअट्रिशन के पास ले जाएं।
इलाज:
-अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
-डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं।
-एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
-अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
-सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
-मरीज को आराम करने दें।
मरीज में DSS या DHF का एक भी लक्षण दिखाई दे तो उसे जल्दी-से-जल्दी डॉक्टर के पास ले जाएं। DSS और DHF बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के जरूरी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो DSS और DHF का पूरा इलाज मुमकिन है।
आयुर्वेद – बचाव के 6 तरीके :
1- डेंगू के बुखार से राहत पाने के लिए नारियल पानी खूब पिएं। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और एलेक्ट्रोलाइट्स शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है।
2- तुलसी के पत्तों को गर्म पानी में उबाल लें और फिर इस पानी को पिएं। ऐसा करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। इसे दिन में चार बार पी सकते हैं।
3- डेंगू बुखार में मेथी की पत्तियां उबालकर चाय बनाकर पिएं। ऐसा करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और डेंगू का वायरस दूर होता है।
4- पपीते के पत्ते भी काफी असरदार हैं। इसमें मौजूद पपेन शरीर के पाचन को सही रखता है। इसका जूस पीने से प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ते हैं।
5- तुलसी के पत्तों के साथ काली मिर्च को पानी में उबाल लें और पिएं। इससे इम्यून सस्टिम मजबूत होता है और यह एंटी बैक्टीरियल की तरह काम करता है।
6- गिलोय का दंडी, पपीते की कोमल पत्ती, और कालमेघ का पत्ता इन तीनों को उबालकर काढ़ा बना लें, यह काढ़ा दिन में 4 बार लें।
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बरतें एहतियात:
-ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं।
-खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें।
-इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं।
-हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके।
-पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं।
-मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं।
-खूब पानी पीएं। छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं।
बचाव भी इलाज:
-बीमारी से बचने के लिए फिजिकली फिट, मेंटली स्ट्रॉन्ग और इमोशनली बैलेंस रहें।
-अच्छा खाएं, अच्छा पीएं और अच्छी नींद ले।
-नाक के अंदर की तरफ सरसों का तेल लगाकर रखें। इससे तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के अंदर जाने से रोकती है।
-खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करें। सुबह आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या के साथ लें। लेकिन अगर आपको -नजला, जुकाम या कफ आदि है तो दूध न लें। तब आप हल्दी को पानी के साथ ले सकते हैं।
-आठ-दस तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें, जब वह आधा रह जाए तब उस पानी को पीएं।
-विटामिन-सी से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें जैसे : एक दिन में दो आंवले, संतरे या मौसमी ले सकते हैं। यह हमारे इम्यून सिस्टम को सही रखता है।
अपने आप न आजमाएं:
1-अपनी मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें। अगर बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले।
2-इन दिनों के बुखार में सिर्फ महासुदर्शन चूर्ण सकते हैं। या फिर आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्शानुसार औषधि ले, अँग्रेज़ी/ एलोपैथी दवाएँ बिल्कुल भी ना लें क्योंकि अगर डेंगू है तो अँग्रेज़ी/ एलोपैथी दवाएँ या फिर किसी प्रकार की एंटीबायोटिक आदि लेने से आपकी प्रतिरक्षण क्षमता और प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं।
3-मामूली खांसी आदि होने पर भी अपने आप कोई दवाई न लें।
4-झोलाछाप डॉक्टरों के पास न जाएं। अक्सर ऐसे डॉक्टर बिना सोचे-समझे कोई भी दवाई दे देते हैं। Dexamethasone(जेनरिक नाम) का इंजेक्शन और टैब्लेट तो बिल्कुल न लें। अक्सर झोलाछाप मरीजों को इसका इंजेक्शन और टैब्लेट दे देते हैं, जिससे मौत भी हो सकती है।
डेंगू से कैसे बचें:
डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं। एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना। एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना।
मच्छरों को पैदा होने से रोकने के उपाय:
– घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें।
– अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें।
– रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।
– डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।
– अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।
– मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है।
– घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें। दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें।
मच्छरों के काटने से बचाव:
-ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे। खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं।
-बच्चों को मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
-रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं।
ध्यान दें:
इन दिनों बुखार होने पर सिर्फ पैरासिटामोल (क्रोसिन, कैलपोल आदि) लें। एस्प्रिन (डिस्प्रिन, इकोस्प्रिन) या एनॉलजेसिक (ब्रूफिन, कॉम्बिफ्लेम आदि) बिल्कुल न लें। क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और शरीर से ब्लीडिंग शुरू हो सकती है।
कई बार चौथे-पांचवें दिन बुखार कम होता है तो लगता है कि मरीज ठीक हो रहा है, जबकि ऐसे में अक्सर प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं। बुखार कम होने के बाद भी एक-दो दिन में एक बार प्लेटलेट्स काउंट टेस्ट जरूर कराएं।
अगर किसी को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी के अंदर रखें, ताकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैलाएं।
20 का फॉर्म्युला:
डेंगू में कुछ एक्सपर्ट 20 के फॉर्म्युला की बात करते हैं। अगर धड़कन यानी पल्स रेट 20 बढ़ जाए, ऊपर का ब्लड प्रेशर 20 कम हो जाए, ऊपर और नीचे के ब्लड प्रेशर का फर्क 20 से कम हो जाए, प्लैटलेट्स 20 हजार से कम रह जाएं, शरीर के एक इंच एरिया में 20 से ज्यादा दाने पड़ जाएं – इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आए तो मरीज को अस्पताल में जरूर भर्ती करना चाहिए।
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