बवासीर

बवासीर आपके निचले मलाशय में सूजी हुई नसें होती हैं। आंतरिक बवासीर आमतौर पर दर्द रहित होती है, लेकिन इसमें खून बहने लगता है। बाहरी बवासीर दर्द का कारण बन सकती है। बवासीर (HEM-uh-roids), जिसे पाइल्स भी कहा जाता है, आपके गुदा और निचले मलाशय में सूजी हुई नसें होती हैं, जो वैरिकाज़ नसों के समान होती हैं।

बवासीर

बवासीर एक ऐसी समस्या है जो दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है | हर साल भारत में लगभग दो करोड़ लोगों को बवासीर होती है और बीस लाख से भी अधिक ऑपरेशन होते हैं |

लेकिन ऑपरेशन के बाद भी ये समस्या खत्म नही होती | ज़्यादातर ऑपरेशन के बाद भी बवासीर की समस्या फिर से हो जाती है |

यदि आप ऑपरेशन  से बचना चाहते है और चाहते हैं की आपकी बीमारी का जड़ से समाधान हो तो आप Healthkawifi Ayurveda Clinic से अपनी बीमारी का जड़ से इलाज कराएं 

 

बवासीर क्या है?

बवासीर- एक बहुत ही असुविधाजनक और दर्दनाक पाचन विकार। इसे बवासीर के रूप में भी जाना जाता है जो मुख्य रूप से गुदा नलिका के चारों ओर आंतरिक और बाहरी शिरापरक जाल के फैलाव और भीड़ के कारण होता है।
आयुर्वेद में, इसे त्रिदोष के असंतुलन के कारण होने वाले "अर्श रोग" के रूप में पहचाना जाता है। ऐसी स्थितियों में, निचले गुदा और मलाशय की नसें सूज जाती हैं और गुदा नलिका के आसपास गांठ या सूजन वाले ऊतक बन जाते हैं। यह कब्ज और मल त्याग के समय तनाव (मल त्यागते समय) से जुड़ा हुआ है।
शौच के बाद चमकीले लाल रंग का रक्तस्राव या मलाशय से कुछ बाहर आना जो शौच के बाद गायब हो जाता है, कुछ सामान्य जटिलताएँ हैं जो बवासीर के रोगियों को होती हैं। मलाशय और गुदा को सहारा देने वाले कमजोर ऊतकों के कारण बवासीर के विकास के लिए उम्र बढ़ना एक प्रमुख जोखिम कारक है।    

बवासीर के प्रकार (Piles (Hemorrhoids) Types)  

बवासीर दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-

 

खूनी बवासीर

खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।

मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं। 

 

बादी बवासीर

बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।

इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय, और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरह से चल-फिर नहीं पाता, और बैठने में भी तकलीफ महसूस करता है। इलाज कराने से यह समस्या ठीक हो जाती है। 

बवासीर (पाइल्स) के लक्षण क्या हैं?

कई बार बवासीर यदि गंभीर अवस्था में ना पहुंचा हो तो यह 4-5 दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन रोग बढ़ने पर ये लक्षण देखे जा सकते हैंः-

  • गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है। इसमें दर्द रहता है, तथा खून भी आ सकता है।
  • शौच के बाद भी पेट साफ ना हेने का आभास होना।
  • शौच के वक्त जलन के साथ लाल चमकदार खून का आना।
  • शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।
  • गुदा के आस-पास खुजली, एवं लालीपन, व सूजन रहना।
  • शौच के वक्त म्यूकस का आना।
  • बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल न निकलना।

इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरंदाज ना करें। जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर पाइल्स का इलाज  कराएं।

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F.A.Q

( सामान्य प्रश्न )

बवासीर को लेकर आप अक्सर ये सवाल पूछते हैंः-

प्रश्न: क्या बवासीर का इलाज केवल सर्जरी से संभव है?

उत्तर: बवासीर का इलाज केवल सर्जरी ही है, यह सच नहीं है। समय पर किए गए उपचार, एवं बेहतर जीवनशैली से इस रोग को ठीक (Bavasir ka upchar) किया जा सकता है, वो भी बिना सर्जरी के |

प्रश्न: बवासीर के कारण होने वाली क्या दूसरी बीमारियां होती हैं?

उत्तर: बवासीर में अत्यधिक खून बहने के कारण शरीर में खून की कमी हो सकती है। व्यक्ति कमजोरी महसूस करने लगता है। लम्बे समय तक बीमारी के बने रहने, और इलाज की कमी के कारण यह कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) का कारण भी बन सकता है। इसलिए लक्षण दिखते ही बवासीर का उपचार (Bavasir ka upchar) कराएं।

प्रश्न: सर्जरी के बाद बवासीर दोबारा हो सकता है?

उत्तर: आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सर्जरी ही इसका एकमात्र समाधान है, और सर्जरी के बाद भी यह रोग दोबारा हो जाता है। इसलिए घरेलू उपचार और बेहतर जीवनशैली अपनाना चाहिए। इससे बवासीर के दोबारा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

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