बवासीर

बवासीर आपके निचले मलाशय में सूजी हुई नसें होती हैं। आंतरिक बवासीर आमतौर पर दर्द रहित होती है, लेकिन इसमें खून बहने लगता है। बाहरी बवासीर दर्द का कारण बन सकती है। बवासीर (HEM-uh-roids), जिसे पाइल्स भी कहा जाता है, आपके गुदा और निचले मलाशय में सूजी हुई नसें होती हैं, जो वैरिकाज़ नसों के समान होती हैं।

बवासीर

बवासीर क्या है?

बवासीर- एक बहुत ही असुविधाजनक और दर्दनाक पाचन विकार। इसे बवासीर के रूप में भी जाना जाता है जो मुख्य रूप से गुदा नलिका के चारों ओर आंतरिक और बाहरी शिरापरक जाल के फैलाव और भीड़ के कारण होता है।
आयुर्वेद में, इसे त्रिदोष के असंतुलन के कारण होने वाले "अर्श रोग" के रूप में पहचाना जाता है। ऐसी स्थितियों में, निचले गुदा और मलाशय की नसें सूज जाती हैं और गुदा नलिका के आसपास गांठ या सूजन वाले ऊतक बन जाते हैं। यह कब्ज और मल त्याग के समय तनाव (मल त्यागते समय) से जुड़ा हुआ है।
शौच के बाद चमकीले लाल रंग का रक्तस्राव या मलाशय से कुछ बाहर आना जो शौच के बाद गायब हो जाता है, कुछ सामान्य जटिलताएँ हैं जो बवासीर के रोगियों को होती हैं। मलाशय और गुदा को सहारा देने वाले कमजोर ऊतकों के कारण बवासीर के विकास के लिए उम्र बढ़ना एक प्रमुख जोखिम कारक है।

चिंता न करें!
आयुर्वेद से इसका इलाज संभव है

अन्य उपचारों के विपरीत, बवासीर के लिए आयुर्वेदिक उपचार केवल लक्षण प्रबंधन पर काम नहीं करता है। वास्तव में, यह रोग के मूल कारणों को खोजता है और उनका प्राकृतिक रूप से उपचार करता है। यह बिल्कुल सुरक्षित और प्रभावी उपाय है जो पाचन तंत्र को ताकत प्रदान करता है और मानव शरीर के समग्र सामंजस्य को बढ़ाता है।

बवासीर के प्रकार (Piles (Hemorrhoids) Types)

बवासीर दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-

खूनी बवासीर

खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।

मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं। 

 

बादी बवासीर

बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।

इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय, और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरह से चल-फिर नहीं पाता, और बैठने में भी तकलीफ महसूस करता है। इलाज कराने से यह समस्या ठीक हो जाती है। 

बवासीर (पाइल्स) के लक्षण क्या हैं?

कई बार बवासीर यदि गंभीर अवस्था में ना पहुंचा हो तो यह 4-5 दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है, लेकिन रोग बढ़ने पर ये लक्षण देखे जा सकते हैंः-

  • गुदा के आस-पास कठोर गांठ जैसी महसूस होती है। इसमें दर्द रहता है, तथा खून भी आ सकता है।
  • शौच के बाद भी पेट साफ ना हेने का आभास होना।
  • शौच के वक्त जलन के साथ लाल चमकदार खून का आना।
  • शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।
  • गुदा के आस-पास खुजली, एवं लालीपन, व सूजन रहना।
  • शौच के वक्त म्यूकस का आना।
  • बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल न निकलना।

इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरंदाज ना करें। जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर पाइल्स का इलाज  कराएं।

बवासीर होने के कारण (Piles or Hemorrhoids Causes)

आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग कहा गया है।  जिस बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है, वे अर्श शुष्क होते हैं। इसलिए मांसांकुरों में से स्राव नहीं होता है। जिस अर्श में रक्त या पित्त या रक्तपित्त की प्रधानता होती है, वे आर्द्र अर्श होते है। इसमें रक्तस्राव होता है। शुष्क अर्श में पीड़ा अधिक होती है।

कुछ लोगों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी देखा जाता है, लेकिन कुछ में अन्य कारणों से भी होता है, जो ये हैंः-

  • कुछ व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटे खड़े रहना पड़ता है, जैसे- बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस इत्यादि। इसके साथ ही जिन्हें भारी वजन उठाना पड़ता है। इन लोगों को बवासीर से पीड़ित होने की अधिक संभावना रहती है। 
  • कब्ज भी बवासीर का एक प्रमुख कारण है। कब्ज में मल सूखा एवं कठोर होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को मलत्याग करने में कठिनाई होती है। काफी देर तक उकड़ू बैठे रहना पड़ता है। इस कारण से वहां की रक्तवाहिनियों पर जोर पड़ता है, और वह फूलकर लटक जाती है, जिन्हें मस्सा कहा जाता है।
  • अधिक तला एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन करना।
  • शौच ठीक से ना होना।
  • फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना।
  • महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़ने से बवासीर होने का खतरा रहता है।
  • आलस्य या शारीरिक गतिविधि कम करना।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन।
  • अवसाद

 

बवासीर और भगन्दर में अन्तर (Difference between Piles and Fistula)

  • बवासीर में गुदा एवं मलाशय के निचले भाग की रक्तवाहिनियों में सूजन आ जाती है। ऐसा लम्बे समय तक कब्ज और शौच में अत्यधिक समय तक बैठे रहने से होता है।
  • इसके अलावा मोटापा या गर्भवती महिलाओं में भी यह होने का खतरा रहता है। इसमें गुदा या मलाशय में मस्से बन जाते हैं, जिनके फूटने पर इनसे खून निकलता है, और दर्द होता है।
  • भगन्दर में मस्से नहीं होते हैं। भगन्दर में एक घावयुक्त नली बन जाती है, जो गुदा नलिका (internal opening) तथा गुदा के बाहर
  • (external opening) की त्वचा में होती है।
  • भगन्दर उन लोगों में होता है, जिनके मलद्वार के पास कोई फोड़ा हो जाता है। फोड़े में कई मुंह बन जाते है। ऐसे में यदि रोगी व्यक्ति उससे छेड़छाड़ करता है तो भगन्दर हो जाता है।
  • इसमें से खून और मवाद लगातार निकलता रहता है। शुरुआती अवस्था में इसमें मवाद और खून की मात्रा कम होती है। इसलिए इससे रोगी के वस्त्रों में केवल दाग मात्र लगता है। धीरे-धीरे रिसाव बढ़ता जाता है, और रोगी को खुजली, बेचैनी और दर्द होने लगता है। 

 

बवासीर के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedy for Piles (Hemorrhoids) Treatment)

आप बवासीर (पाइल्स) के घरेलू इलाज (Bavasir ka upchar) के लिए ये उपाय कर सकते हैंः-

 

एलोवेरा के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Use Aloe vera for Piles Treatment in Hindi)

एलोवेरा के सूजनरोधक और चिकित्सकीय गुणों से बवासीर की जलन कम हो जाती है, और कब्ज की समस्या नहीं होती। यह आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के पाइल्स के इलाज में लाभदायक है। गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं। यह जलन और खुजली को शांत करता है। एलोवेरा के 200-250 ग्राम गूदे को खाएं। इससे कब्ज नहीं (Bavasir ka upchar) होगी और मलत्यागने में आसानी होगी।

 

बवासीर में फायदेमंद सेब का सिरका (Use Apple Vinegar for Piles Treatment in Hindi)

सेब का सिरका अपने कषाय गुणों के कारण रक्तवाहिनियों को सिकोड़ने में मदद करता है। खूनी बवासीर में एक गिलास पानी में सेब के सिरके का एक चम्मच डालकर दिन में दो बार पिएं। बादी बवासीर में सेब के सिरके में रुई भिगाकर गुदा में रखें। इससे जलन और खुजली से राहत मिलेगी।

 

बवासीर के उपचार के लिए जैतून के तेल का इस्तेमाल (Olive Oils : Home Remedy for Piles Treatment in Hindi)

जैतून के तेल में सूजन ठीक करने वाले गुण होते हैं। यह रक्तवाहिकाओं में आई सूजन को कम करता है। जैतून के तेल को बादी बवासीर के मस्सों पर लगाएं।

 

बवासीर में लाभदायक बादाम का तेल (Badam oil : Home Remedies for Hemorrhoids Treatment in Hindi)

शुद्ध बादाम के तेल में रुई को डुबोएं, तथा बादी बवासीर में मस्सों पर लगाएं। यह सूजन और जलन को कम करता है।

 

नारियल का उपयोग कर बवासीर में लाभ (Coconut : Home Remedy for Hemorrhoids Treatment in Hindi)

नारियल की जटाओं को जलाकर राख या भस्म बना लें। इसे ताजे मट्ठे में मिलाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिएं।

 

अंजीर खाने से बवासीर रोग में लाभ (Ajneer : Home Remedies to Cure Hemorrhoids in Hindi)

तीन अंजीर एक गिलास पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसका सेवन कर, इस पानी को भी पिएं।

 

बवासीर के घरेलू उपचार के लिए जीरे का प्रयोग (Jeera : Home Remedies to Cure Hemorrhoids in Hindi)

  • बादी बवासीर में दर्द और जलन होने पर जीरे के दानों को पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे मस्सों वाली जगह पर लगाएं।
  • खूनी बवासीर में जीरे को भूनकर मिश्री के साथ पीस लें। इसे दिन में 2-3 बार 1-2 ग्राम की मात्रा में मट्ठे के साथ लें।

 

नींबू के इस्तेमाल से पाइल्स का घरेलू इलाज (Use of Lemon to Cure Piles in Hindi)

नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पाइल्स में फायदा पहुँचता है।

मट्ठा और अजवायन के सेवन से पाइल्स का इलाज (Whey and Oregano : Home Remedies for  Treatment of Hemorrhoids in Hindi)

मट्ठा बवासीर रोग में अमृत के समान है। एक गिलास छाछ में एक चौथाई अजवायन पाउडर, और एक चम्मच काला नमक मिलाकर रोजाना दोपहर के खाने में सेवन करें। यह बवासीर से आराम पाने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार (Bavasir ka upchar) है। 

 

पाइल्स का घरेलू उपचार पपीते से (Benefits of Papaya in Piles Disease in Hindi)

रात के भोजन में पपीता खाएं। इससे कब्ज नहीं होगी। इससे मल त्याने के समय होने वाली पीड़ा नहीं होगी।

 

गर्म पानी का प्रयोग दिलाता है बवासीर के दर्द में तुरंत राहत (Uses of Hot Water in Piles Treatment in Hindi)

बाथ टब (Sitz bath) में गर्म पानी डालकर 10-15 मिनट तक बैठें। यह बवासीर के दर्द, और जलन से आराम पाने का सबसे अच्छा इलाज है

बवासीर (बवासीर) आयुर्वेदिक उपचार

सदियों से आयुर्वेद हमारे पूर्वजों के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को भी अपनी उपचार शक्तियों से लाभ पहुँचा रहा है। आयुर्वेद लक्षणों को दबाने के बजाय जड़ से स्थायी राहत देने के दर्शन का पालन करता है। बवासीर के आयुर्वेदिक उपचार में निम्नलिखित विचारधाराएँ और अभ्यास शामिल हैं;

  • आयुर्वेद जड़ी-बूटियों के रूप में धरती माता से अपनी उपचार शक्ति प्राप्त करता है। कई घरेलू उपचार उपलब्ध हैं जिनका उपयोग आंतरिक बवासीर के उपचार के रूप में किया जा सकता है। प्रकृति से प्राप्त और हर्बल होने के कारण, वे केवल वांछित और प्रभावी परिणाम देते हैं।
  • पंचकर्म आयुर्वेद की एक और चिकित्सा शाखा है। इसमें कई कायाकल्प चिकित्सा शामिल हैं जो शरीर के अंदर खराब हो चुके शरीर को नियंत्रित करने वाले दोषों से निपटने में सहायता करती हैं। बवासीर के आयुर्वेदिक उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ये चिकित्साएँ हैं;
  • वामन
  • नास्या
  • विरेचन
  • निरुहा
  • अनुवासना वस्ति
  • ये कर्म (चिकित्सा) पूरे शरीर में संचित विषाक्त पदार्थों को खत्म करते हैं और पाचन स्वास्थ्य को बहाल करते हैं।
  • बाह्य बवासीर उपचार में गुदा के माध्यम से हर्बल तेलों का प्रशासन भी शामिल है।
  • आयुर्वेद मल त्याग और समग्र पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए उच्च फाइबर आहार लेने का सुझाव देता है
  • बवासीर के लिए इन घरेलू उपचारों को अपनाने से पहले किसी विशेषज्ञ या आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श करने की सलाह दी जाती है, जो आपके शरीर की प्रकृति और प्रतिरक्षा क्षमता के अनुसार आपको बवासीर का आयुर्वेदिक उपचार और सावधानियां बताएंगे।

बवासीर की बीमारी के दौरान आपका खान-पान  (Your Diet in Piles or Hemorrhoids)

अधिक फाइबरयुक्त आहार का सेवन करें, जैसे- रेशेदार फल एवं सब्जियाँ।

  • रोजाना 7-8 गिलास पानी पिएं।
  • भोजन में नियमित रूप से छाछ का सेवन करें।

 

बवासीर की बीमारी के दौरान जीवनशैली (Your Lifestyle in Piles or Hemorrhoids)

  • नियमित रूप से व्यायाम एवं प्राणायाम करें।
  • अधिक देर तक एक ही जगह पर बैठे ना रहें।

 

बवासीर में परहेज (Avoid These in Piles or Hemorrhoids)

अगर आप पाइल्स का इलाज करवा करें हैं या बवासीर से पीड़ित हैं तो इन चीजों का परहेज करना बहुत जरूरी हैः-

  • जंक-फूड
  • तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।

 

बवासीर से संबंधित सवाल और जवाब (FAQ Related Piles or Hemorrhoids)

बवासीर को लेकर आप अक्सर ये सवाल पूछते हैंः-

क्या बवासीर का इलाज केवल सर्जरी से संभव है?

बवासीर का इलाज केवल सर्जरी ही है, लेकिन यह सच नहीं है। समय पर किए गए उपचार, एवं बेहतर जीवनशैली से इस रोग को ठीक (Bavasir ka upchar) किया जा सकता है।

बवासीर के कारण होने वाली क्या दूसरी बीमारियां होती हैं?

बवासीर में अत्यधिक खून बहने के कारण शरीर में खून की कमी हो सकती है। व्यक्ति कमजोरी महसूस करने लगता है। लम्बे समय तक बीमारी के बने रहने, और इलाज की कमी के कारण यह कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) का कारण भी बन सकता है। इसलिए लक्षण दिखते ही बवासीर का उपचार (Bavasir ka upchar) कराएं।

सर्जरी के बाद बवासीर दोबारा हो सकता है?

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सर्जरी ही इसका एकमात्र समाधान है, और सर्जरी के बाद भी यह रोग दोबारा हो जाता है। इसलिए घरेलू उपचार और बेहतर जीवनशैली अपनाना चाहिए। इससे बवासीर के दोबारा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

 

अस्वीकरण – इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए | कृपया किसी भी जड़ी - बूटी,  हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें |

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    1. पेशेंट को हर 10 दिन में अपनी हेल्थ रिपोर्ट मेरे हेल्थकावाई-फाई वाट्सएप पर भेजनी होती है।
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    3. (1) अन्य किसी भी प्रकार के फालतू के शौक पालने से पहले अपने स्वास्थ्य की रक्षा के महत्व को समझना सीखें।

      (2) पेशेंट्स को समझना होगा कि महंगे वाहन, आकर्षक कपड़े, आलीशान मकान साज श्रंगार, शारीरिक सौंदर्य और करोडों का बैंक बैलेंस भी कोई मायने नहीं रखते, यदि उन्होंने अपना स्वास्थ्य खो दिया। विशेषकर यदि पाचन शक्ति कमजोर हो चुकी है, तो जीवन निरर्थक है।

      (3) इसलिये यदि आपको पूर्ण आयु तक सम्पूर्णता से स्वस्थ तथा जिंदादिल जिंदगी जीनी है तो खाली पेट चाय, कॉफी, धूम्रपान, गुटखा, शराब आदि सभी प्रकार के नशे की लतों को तुरंत त्याग देना चाहिये और इनके बजाय उत्साहवर्धक साहित्य खरीद कर पढने, पौष्टिक खाद्य व पेय पदार्थों और आरोग्यकारी, पुष्टिकारक तथा बलवर्धक औषधियों का सेवन करने पर अपनी कमाई का कुछ हिस्सा उदारतापूर्वक खर्च करते रहना चाहिए।

      (4) इससे आपको अपने जीवन में ग्लानि, दुर्बलता, स्मरण शक्ति का लोप आदि की शिकायतें कभी नहीं होती हैं।

      (5) कौन मूर्ख व्यक्ति ऐसा होगा, जो स्वस्थ एवं तंदुरुस्त नहीं रहना चाहेगा?

      ऑनलाइन वैद्य Dr. RANJEET KESHARI संचालक हेल्थकावाई-फाई- वाराणसी ,

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